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पीलीभीत: दुष्कर्म पीड़िता की आत्महत्या से उठे सवाल

 पीलीभीत: दुष्कर्म पीड़िता की आत्महत्या से उठे सवाल, पूर्व मुख्यमंत्री का तंज और परिजनों की न्याय की पुकार

पीलीभीत में दुष्कर्म पीड़िता की आत्महत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। वायरल हुए वीडियो ने मामले को और तूल दिया, जिससे प्रशासन और सरकार पर सवालों की बौछार हो रही है। इस मामले में जहां पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए, वहीं पीड़िता के परिजनों ने निलंबित थाना प्रभारी को जेल भेजने की मांग की है।  


वायरल वीडियो से मामला गरमाया

पीड़िता के आत्महत्या के बाद वायरल हुए वीडियो ने आम जनता को आक्रोशित कर दिया। यह वीडियो न केवल सरकार तक पहुंचा, बल्कि प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि यह घटना सरकार की संवेदनहीनता और कानून-व्यवस्था की नाकामी का प्रतीक है। उन्होंने तीखा तंज कसते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं दिखाती हैं कि प्रदेश में न्याय व्यवस्था कितनी लचर है।  

उच्चाधिकारियों की रिपोर्ट और कार्रवाई

वायरल वीडियो और राजनीतिक दबाव के बीच मामला पुलिस अधीक्षक (एसपी) अविनाश पांडेय तक पहुंचा। उन्होंने घटना को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्राधिकारी (सीओ) से विस्तृत रिपोर्ट मांगी। जांच में अमरिया थाना प्रभारी ब्रजवीर सिंह की लापरवाही सामने आने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए। अमरिया थाने का प्रभार अब निरीक्षक प्रमेंद्र कुमार को सौंपा गया है।  

परिजनों की मांग: न्याय और कठोर कार्रवाई

पीड़िता के परिजनों ने निलंबित थाना प्रभारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर उन्हें जेल भेजने की मांग की है। उनका आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता ने पीड़िता को आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया। परिजनों ने दोषियों को सख्त सजा देने की गुहार लगाई है, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।  

राजनीतिक उबाल और जनाक्रोश  

घटना के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा सरकार पर किए गए तीखे हमलों ने मामले को और गर्मा दिया है। वहीं, स्थानीय स्तर पर भी जनता का आक्रोश चरम पर है। लोग सड़कों पर उतरकर पीड़िता के परिवार के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं।  

प्रशासन पर बढ़ा दबाव

राजनीतिक और सामाजिक दबाव के बीच प्रशासन पर त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करने का भारी दबाव है। विभागीय जांच शुरू हो चुकी है, और सभी की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि दोषियों के खिलाफ कितनी कठोर कार्रवाई होती है।  

यह मामला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि न्याय व्यवस्था, पुलिस प्रशासन की जिम्मेदारी और सरकार की जवाबदेही पर एक गंभीर प्रश्नचिन्ह है। पीड़िता को न्याय दिलाने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में किसी भी पीड़िता को इस तरह के हालात का सामना न करना पड़े।

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