अडानी ग्रुप विवाद: रिश्वत, शेयर क्रैश और अंतरराष्ट्रीय हंगामा
भारत के प्रमुख औद्योगिक समूह अडानी ग्रुप पर अमेरिकी अभियोजकों ने $265 मिलियन (₹1,750 करोड़) रिश्वत देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। यह रिश्वत कथित तौर पर भारत में ऊर्जा परियोजनाओं के लिए सरकारी अनुबंध हासिल करने के लिए दी गई थी। इस मामले में अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, और छह अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। समूह ने इन आरोपों को "बेबुनियाद" करार देते हुए इन्हें सिरे से खारिज किया है।
अमेरिकी अभियोजकों का आरोप है कि 2021 से 2023 के बीच, अडानी समूह के प्रतिनिधियों ने आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी। इसके जरिए उन्होंने $2 बिलियन (₹16,600 करोड़) के मुनाफे वाले अनुबंध हासिल किए। अडानी ग्रीन और एज्योर पावर के वरिष्ठ अधिकारियों पर इन अनुबंधों को लेकर गलत जानकारी देकर निवेशकों और उधारदाताओं को गुमराह करने का भी आरोप है।
अमेरिकी अदालत में दाखिल आरोपपत्र के मुताबिक, गौतम अडानी और सागर अडानी पर सिक्योरिटी फ्रॉड, साजिश, और वायर फ्रॉड के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने भी अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ सिविल मामला दर्ज किया है। कोर्ट ने इन दोनों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं और इन्हें विदेशी कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सौंपने की योजना है।
अडानी ग्रुप का बयान
अडानी समूह ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “हम एक कानून का पालन करने वाला संगठन हैं और पूरी तरह से सभी नियमों का अनुपालन करते हैं। इन आरोपों का कोई आधार नहीं है। हम अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी कार्रवाई करेंगे।”
इस विवाद के बाद भारतीय शेयर बाजार में भी भूचाल आ गया। अडानी ग्रुप की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, जिसमें अडानी एंटरप्राइजेज का शेयर 23% तक गिरा। इस गिरावट से निवेशकों को ₹2.60 लाख करोड़ का नुकसान हुआ।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले ने भारत में एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अडानी को संरक्षण देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “अडानी ने भाजपा को समर्थन देकर भारत की संपत्तियां भ्रष्टाचार से हासिल की हैं। हम उनकी गिरफ्तारी और इस मामले की जांच के लिए संसदीय संयुक्त समिति (JPC) की मांग करते हैं।”
बीजेपी ने इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि जिन राज्यों में रिश्वत देने का आरोप है, वे सभी विपक्षी दलों द्वारा शासित थे। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “कंपनी अपने बयान में अपना पक्ष रखेगी, और कानून अपना काम करेगा। विपक्ष सिर्फ राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है।”
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
इस विवाद का असर भारत के बाहर भी देखा गया। केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो ने अडानी ग्रुप के साथ मुख्य हवाई अड्डे के प्रबंधन को लेकर चल रही निविदा प्रक्रिया रद्द कर दी। इसके अलावा, केन्या सरकार ने $736 मिलियन की बिजली परियोजना से जुड़े सार्वजनिक-निजी साझेदारी समझौते को भी रद्द कर दिया।
यह विवाद भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। अडानी समूह पर लगे ये आरोप न केवल वित्तीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश की छवि को प्रभावित कर सकते हैं। अदालत और जांच एजेंसियों की प्रक्रिया इस मामले का भविष्य तय करेंगी।